एक त मा बारी भोरी लिरिक्स-मदन राय निर्गुण

1. एक त मा बारी भोरी दूसरे पियावा गइलन रे चोरी – दोहा- की नागन बैठी राह में, बिरहन पहुंची आय नागन डर गई आप के, कि बिरहन डंस न जाय नाहर के नख में बसे, दन्ते बसे भुजंग की बिच्छी के पोछी बसे, बिरहन के सब अंग एक त मा बारी भोरी दूसरे पियावा … Read more