जनती जे जारल जईबू आग में दहेज के लिरिक्स- भरत शर्मा व्यास

एक अचरज हम देखनी

जनती जे जारल जईबू आग में दहेज के लिरिक्स- भरत शर्मा व्यास            जनती जे जारल जईबू आग में दहेज के लिरिक्स- भरत शर्मा व्यास कंची कली की इस दामन छुपाकर फूलों तले  सांस पाती है बेटी, खिल जाती कलियां तो डाली से झुककर आंचल में मुखड़ा छुपाती है बेटी, खुशबू … Read more