एक अचरज हम देखनी ए साधो निर्गुण लिरिक्स: भरत शर्मा व्यास निर्गुण लिरिक्स

एक अचरज हम देखनी

आआ……आआ…आ….आ…..
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान
मोल करो तलवार का पड़ा रहन दो म्यान

एक अचरज हम.. देखनी ए साधो..
केकरा के देइ हम साखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नाही रहे जवना के पांखी ए राम
एक अचरज हम…………………
एक अचरज हम देखनी ए साधो
केकरा के देइ हम साखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नही रहे जवना के पांखी ए राम

ताना बाना बिन के चुनरी रंग दिहलस रंगरेज
दाग बचा के सदा पहिंरिह होला मइल बड़ा तेज
अईसन कईलस मइल चुनरिया….
अईसन कईलस मइल चुनरिया -2
केहुए न पसवा में राखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नही रहे जवना के पांखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नाही रहे जवना के पांखी ए राम

भारी अचरज मइल चुनरिया पर न बेगो गहकी
उपर इतर गुलाल बा लागल न दूसरा के महकी
कोठा बइठ के सईयां जी सोचे
होओ…….. होआओ….
आरे..कोठाआआ..आरे.. बईठ के.. सोचे …
कोठा बइठ के सईयां.. सोचे
का एकरा के भाखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नही रहे जवना के पांखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नाही रहे जवना के पांखी ए राम

बिन परदा के दुलहीन देखनी
जात बिना असवारी
बिना दाम के माल़ लुटावत देखनी हम व्यापारी
आग नदी परबत के लांघत..
पानी जात बिनु आंखी ए राम
पानी जात बिनु आंखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नही रहे जवना के पांखी ए राम
उड़त चिरई के देखनी गगन में
नाही रहे जवना के पांखी ए राम -2
नही रहे जवना के पांखी ए राम -2

एक ऐसा दर्द भरा निर्गुण जिसे सुनकर आपकी आंखों में आंसु आ जायेंगे

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