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सुनो सुनो श्री राम कहानी लिरिक्स पार्ट-२, C. Laxmichand

सुनो सुनो श्री राम कहानी लिरिक्स पार्ट-२

सुनो सुनो श्री राम कहानी

राम विवाह:-

जनकपुरी से जनकराज का एक निमंत्रण आया
धनुष यज्ञ का आयोजन है यह संदेश पठाया
राम लखन संग चले मुनिवर पथ में आश्रम आया
सुनी कूटी थी गौतम की श्राप याद हो आया रे भईया श्राप याद हो आया
पत्थर रूपी परिधि अहिल्या राम ने चरण छुआया
नारी रूपी भई अहिल्या और परम पद पाया
राम की महिमा बड़ी अपूरव…हो…
राम की महिमा बड़ी अपूरव हीरा पड़ी कल्याणी
सुनो सुनो श्रीराम कहानी सुनो सुनो श्रीराम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

चले नहाकर गंगा सब जन जनकपुरी में आए
देखी शोभा जनकपुरी की मन हीं मन हर्षाए
पुष्प वाटिका वन उपवन नदी तालाब लुभाए
नगर की शोभा दिवस रात में मन हीं मन में भाए
मन वैरागी जनकराज आदर से शीश झुकाए
मिनिवर का संदेशा पाकर अगवानी को आए
सीता स्वयंवर की ऐ भक्तों….हो…
सीता स्वयंवर की ऐ भक्तों बढ़ेगी अभी कहानी
सुनो सुनो श्री राम कहानी सुनो सुनो श्रीराम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

गुरु आज्ञा से दो भाई घूमे नगर अटारी
उनकी शोभा दर्शन करने निकली नगरी सारी
पुष्प वाटिकाएं देखी देखी जनक दुलारी
राम सिया की मिल गई आंखे सजी हृदय की क्यारी
सीता के मन राम समाए राम को सीता प्यारी
दोनो के फिर मधुर मिलन की विधि ने की तैयारी
सीता स्वयंवर पूर्व की मानो….हो….
सीता स्वयंवर पूर्व की मानो लिखी हो छंटा सुहानी

सुनो सुनो श्रीराम कहानी सुनो सुनो श्रीराम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

Ramayan

रचा स्वयंवर जब सीता का आए वीर अनेक
थे उनमें कुछ दिव्य देवता राजा दैत्य अनेक
जो भी शिव के धनुष को तोड़े सीता उसे वरेगी
फूलों से संचित वरमाला वीर के गले धरेगी
रावण भी जब हर गया और हारे वीर अनेक
हुए निराश तनिक यूं राजा दोहराए फिर टेक
राजन गरजे फिर कुछ जैसे….हो….
राजन गरजे फिर कुछ जैसे गरजी बिजली रानी
सुनो सुनो श्री राम कहानी सुनो सुनो श्री राम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

खाली हुई धरा वीरों से लगा जनक को ऐसा
लक्ष्मण को क्रोध आ गया तपा स्वर्ण हो जैसा
शांत कराया राम ने फिर धनुष तोड़ने आए
चढ़ा प्रत्यंचा धनुष को तोड़ा लगा खिलौने जैसा
जय जयकार सभा में हो गई नाद हुआ कुछ ऐसा
खुशी प्रकट करने को पहले हुआ नही था वैसा
सब देवों को खुशियां मिल गई…..हो….
सब देवों को खुशियां मिल गई ऋतु थी बड़ी सुहानी
सुनो सुनो श्री राम कहानी सुनो सुनो श्री राम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

जयमाला करने ले आई सीता कुछ सकुचाई
अंदर से इतनी खुश थी वो बाहर से शरमाई
राम हृदय में उसका एक सीता समझ न पाई
आंखो में खुशियां सरसी थी जीभ न कुछ कह पाई
गले में राम ने माला डाली फुले नहीं समाई
कहने लगे सभी निज मन से जोड़ी सही मिलाई
बरसे फूल गगन से ऐसे….. हो…..
बरसे फूल गगन से ऐसे जैसे वर्षा रानी
सुनो सुनो श्रीराम कहानी सुनो सुनो श्रीराम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

suno suno shree Ram kahani

जब डंकार सुनी धनुआ की परशुराम जी आए
डूबे थे वे क्रोध अगन में कुछ कुछ थे भरमाए
तु तु मैं मैं लक्ष्मण से हुई राम ने फिर समझाया
कठिनाई से शांत हुए वे पर नैना भर आई
दशरथ को भेजा संदेशा वे बारात ले आए
स्वागत किया जनक ने सबका जो विदेह कहलाए
चारो भ्राता हुए विवाहित….. हो….
चारो भ्राता हुए विवाहित हुई बारात रवानी
सुनो सुनो श्रीराम कहानी सुनो सुनो श्रीराम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

पहुंचे… पहुंचे सभी अयोध्या नगरी
पहुंचे सभी अयोध्या नगरी अब जब थे हर्षाए
ढोल शंख बज उठे नगाड़े…
ढोल शंख बज उठे नगाड़े देव देव मुस्काए
चारों ओर बजी शहनाई…..
चारों ओर बजी शहनाई नए फूल लहराए
घर घर और डगर में देखो वंदनवार सजाए
धरा स्वर्ग आंगन आंगन में कण कण भी हर्षाया
सबने गाई राम की गाथा राम की फैली माया
ध्वजा पटाखा से सब गलियां….. हो….
ध्वजा पटाखा से सब गलियां लगती बड़ी सुहानी
सुनो सुनो श्रीराम कहानी सुनो सुनो श्रीराम कहानी
जय जय राम जयश्री राम, जयश्री राम जय जय राम

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