जे जे गइल से भुलाइल भरत शर्मा
जे जे गइल से भुलाइल
Doha– आ आ….आ… आ आ… आ गारी हीं से उपजे कलह कष्ट और नीच गारी हीं से उपजे कलह कष्ट और नीच
हारी चले सो साधु है लागी चले सो नीच
जेजे गइल से भुलाईल समझ में न आ..इल ये राम
आरे जाने कहां अझुरायिल जाने कहां अझुरायिल लवट के न आइल ये राम जाने कहां अझुरायिल जाने कहां अझुरायिल लवट के न आइल ये राम
जगले केहू केहू सुतले हो हो… जगले केहू केहू सुतले केहू अन्हुआइल ए राम जगले केहू केहू सुतले केहू अन्हुआइल ए राम
केहुए केहू भकुआइल केहुए केहू भकुआइल लवट के न आइल ये राम
आ. आ..आ.. आ आ.. आ..हथावा में दमड़ी अधेला आरे..हाथावा में..आरे दमड़ी अधेला हथावा में दमड़ी अधेला न लीहाले दिआइल ए राम
दूजे कर्धनिया कटाईल दूजे कर्धनिया कटाईल दूजे कर्धनियो कटाईल लवट के न आइल ये राम
हित मित सब पूछे पू..छे पू..उछे हित मित सब पूछे केहू के न जनायिल ये राम
हित मित पूछे हित मित पूछे ..हित मित पूछे मित सब पूछे केहू के न जनयिल ए राम
कवना राहे पंछी परायिल कवना राहे पंछी परायिल लवट के न आइल ये राम कवना राहे पंछी परायिल कवना राहे पंछी परायिल लवट के न आइल ये राम
केशरी अजब बड़ा लागे केशरीइ..ई. केशरी अजब बड़ा केशरी अजब बड़ा केशरी.. केशरी अजब बड़ा लागे न बतिया बुझाईल ए राम
सोची सोची मन बौरायिल सोची सोची मन बौरायिल लवट के न आइल ए राम सोची सोची मन बौरायिल
जाने कहां आझुरायिल लवट के न आइल ये राम लौवट के न आइल ए राम लौवट के न आइल ए राम
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