निर्धन के रोग जनि दिह ए विधाता लिरिक्स: पवन सिंह

निर्धन के रोग जनि

अरे अइसे त दुख बहुतेक बाटे ज़िनगी में

अरे पइसा के मोल बाकी एहिजे बुझात

निर्धन के रोग जनि दिह ए विधाता

निर्धन के रोग जनि दिह ए विधाता

 

अइसे त दुख बहुतेक बाटे ज़िनगी में

पइसा के मोल बाकी एहिजे बुझात

निर्धन के रोग जनि दिह ए विधाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

 

देहिया के तोप कसहु भुखिया मिटावे

खट के गरीब आपन इज्जत बचावे

देहिया के तोप कसहु भुखिया मिटावे

खट के गरीब आपन इज्जत बचावे

ओके जदी होइ जाले कवनो बीमारी

बिना रे इलाज एने ओने चिचियाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

 

जेने मालामाल रुपेया भरल ट्रक बा

बड़े बड़े रोग प त ओहिलोग हक बा

जेने मालामाल रुपिया भरल ट्रक बा

बड़े बड़े रोग प त ओहिलोग हक बा

लागेला करोड़ जब करोड़ी मल कहरे ले

ओहिजे दवाई बिनु केहु छट पटाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

 

सबका में होला भीतरी जिये के इक्षा

बाकी केहु मांगे तोहसे मौवत के भिक्षा

सबका में होला भीतरी जिये के इक्षा

बाकी केहु मांगे तोहसे मौवत के भिक्षा

होइ के लाचार अब ताकेले मतलबी

पइसा के ख़ातिर ओकर जान जब जाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

अरे अइसे त दुख बहुतेक बाटे ज़िनगी में

हरे पइसा के मोल बाकी एहिजे बुझात

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता

निर्धन के रोग जनी दिह ए विधाता-२

 

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